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पंडितजी आपके सामने है!

श्री लक्ष्मी पूजा विधान

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वि. सू. : एक पंडितजी ही बिना गलती से पूजाविधी करवा सक्ता है. कोई भी App किंवा Website पंडितजी से तुलना नही कर सकते है. पंडितजी नही मिल रहा है तभ मात्र इस Webappका इस्तमाल कीजिये.


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आसन पर बैठकर हाथ जोडकर मनसे श्री गणेशजी, गुरूजी और मातापितरोंका याद करें.


आचमन करें. ( तीन बार चम्मच से पानी बायां हाथ मे लेकर पीयें )


एक चम्मच भर पानी लेकर बायां हाथ से थाली मे छोडियें.


हाथ जोडकर इष्ट देवतावोंका याद करें.


यजमान खूद का कपाल मे गंध कुंकुम (ठीका) लगाईये.


घंटा पूजन : अपना सामने घंटा रखकर उसकी ऊपर एक चम्मच पानी डालिये. और एक फूल के साथ अक्षता (चावल) डालकर घंटा बजाईये.


भू पूजा : अपना सामने जमीन पर थोडा सा अक्षता डालकर नमस्कार कीजिये.


आसन पूजा : यजमान खूद का आसन पर थोडा सा अक्षता(चावल) डालकर नमस्कार कीजिये.


दीप पूजा : एक फूल मे हलदी कुंकुम लगाकर दिया के सामने रखकर नमस्कार कीजिये.


हाथ मे अक्षता(चावल), फूल, चार दूर्वा पकडकर हाथ जोडकर भगवान जी का याद करें. उस फूल गणेशजी को समर्पण करें.


परत अक्षता(चावल), फूल, दूर्वा डावी हाथ मे लेकर एक चम्मच पानी डालिये और डावी हाथ के ऊपर बायां हाथ रखकर दोनों हाथ बायां जांघ पर रखे.
चित्र देखिये.


अभि हम जैसे बोलते है, वैसे ही आप भी बोलिये.


हाथ मे है वो सब बायां हाथ मे लेकर फिर से चम्मच भर पानी डालकर थाली मे छोडिये.


सबसे पेहला गणेशजी का पूजा करना होता है. तो गणेशजी का मूर्ती किंवा फोटो पूजा के लिये इस्तमाल कर सकते है.

हाथ मे दूर्वा और अक्षता(चावल) लेकर गणेशजी का याद कीजिये.


उस दूर्वा अक्षता गणेशजी के ऊपर डालिये.


फिर से थोडा सा अक्षता लेकर गणेशजी के ऊपर डालिये.


तीन बार चम्मच भर पानी बायां हाथ से थाली मे छोडियें.


एक चम्मच पानी लेकर गणेशजी के ऊपर डालिये.


गणेशजी को जनिवार समर्पण कीजिये.


श्री गणेश जी को गंध और कुंकुम समर्पण कीजिये.


गणेश जी को अक्षता, दूर्वा और लाल फूल समर्पण कीजिये.


अगरबत्ती जलाईये और डावी हाथ से घंटा बजाते हुए गणेशजी को दिखाईये..


गणेश जी के बाजू मे केला रखकर नैवेद्य(भोग) छडाईये.


तीन बार चम्मच से पानी लेकर बायां हाथ से थाली मे छोडिये.


गणेशजी के बाजू मे पान-सुपारी रखकर उस पर एक चम्मच पानी छोदिये.


घंटा बजाते हुए गणेशजी को कर्पूर आरती दिखाईये.


एक चम्मच पानी लेकर बायां हाथ से थाली मे छोडिये और हाथ मे चार फूल लेकर हाथ जोडिये.

उस फूल गणेशजी को समर्पण कीजिये.


हाथ मे अक्षता लेकर प्रार्थना कीजिये और गणेशजी को समर्पण कीजिये.


गणेशजी का पूजा संपन्न हुवा.


अथ कलशपूजा.
पानी का कलश अपना सामने रखिये. हाथ मे अक्षता और फूल लेकर कलश के अंदर डालिये और बायां हाथ कलश को झाककर पकडिये. कलश को हलदी-कुंकुम लगाईये..


अपना पद्धती अनुसार माता लक्ष्मीजीका फोटो, मूर्ती या कलश मंडप मे रखिये, सामने बैठिये.


अपना दोनों हाथों से भूमी का स्पर्श करें.


दोनों हाथों से माताजी का कलश स्पर्श करें.


हाथ मे अक्षता लेकर कलश के ऊपर डालिये और वरूण्देव का स्मरण कीजिये.


कलश के ऊपर गंध, हलदी-कुंकुम लगाईये.


दोनों हाथों से माताजी का कलश स्पर्श करें.


हाथ मे फूल और अक्षता लेकर दोनों हाथ जोडकर मनसे माता श्री महालक्ष्मीजी का स्मरण (याद) करें. उस फूल और अक्षता माताजी को समर्पण कीजिये.


फिर से माता लक्ष्मीजी को अक्षता डालिये.


फिर से माता लक्ष्मीजी को अक्षता डालिये.


हाथ मे एक फूल लेकर एक चम्मच पानी उस फूल के ऊपर डालकर माता लक्ष्मी जी को समर्पण करें.


एक फूल मे गंध लगाकर उस फूल को एक चम्मच पानी डालकर बायां हाथ से थाली मे छोडिये.


एक चम्मच पानी बायां हाथ से थाली मे छोडिये.


एक फूल पानी से बिगोकर माता लक्ष्मीजी को प्रोक्षण कीजिये.


फिर से एक फूल पंचामृत से बिगोकर श्री माता लक्ष्मीजी को पांच बार प्रोक्षण कीजिये.


माता लक्ष्मीजी को श्रीसूक्त मंत्र का इस्तमाल करके अभिषेक करना श्रेष्ठ माना जाता है. अगर माता लक्ष्मीजी का मूर्ती रखें है तो उस मूर्ती को अलग थाली मे रखकर अभिषेक कीजिये.


माता लक्ष्मीजी को चुनरी (वस्त्र) समर्पण करें.


माता लक्ष्मीजी को मंगलसूत्र, कंकण इत्यादी आभरण समर्पण करेंं. आभरण नही है तो अक्षता समर्पण कीजिये.


श्री माता लक्ष्मी जी को गंध, हलदी-कुंकुम से ठीका लगाईये.


श्री माता लक्ष्मीजी को अक्षता (चावल) डालिये.


श्री माता लक्ष्मीजी को फूल किंवा हार (माला) छडाईये.


अगरबत्ती जलाईये और घंटा बजाकर बायां हाथ से माता लक्ष्मीजी को दिखाईये.


घंटा बजाते हुए माता लक्ष्मीजी को घी का नीरांजन दिखाईये.


माता लक्ष्मीजी का सामने सभी नैवेद्य (भोग) रखकर भोग छडाईये.


तीन बार चम्मच से पानी बायां हाथ पर लेकर थाली मे छोडिये.


माता लक्ष्मीजी का बाजू मे पांच पान और एक सुपारी रखकर उस पर एक चम्मच पानी छोडिये.


श्री माता लक्ष्मीजी को आरती दिखाईये.


श्री माता लक्ष्मीजी को कर्पूर का आरती दिखाईये.


बायां हाथ से एक चम्मच पानी थाली मे छोडिये. दोनों हाथों से फूल पकडकर हाथ जोडकर माता लक्ष्मीजी को मनसे नमस्कार कीजिये. उस फूल माता लक्ष्मीजी को समर्पण कीजिये.


अब छोटा थाली मे रखा हुवा आभरण किंवा पैसे के ऊपर चंदन, अक्षता और फूल समर्पण कीजिये. भगवान कुबेरजी की स्मरण करें.


सरस्वती पूजा : अपना जमा-खर्च लिखनेवाला notebook पर चंदन, अक्षता और फूल समर्पण कीजिये. श्री माता अष्टलक्ष्मी और श्री सरसस्वतीजी का स्मरण कीजिये.


अपना परिवार सहित माता लक्ष्मी का सामने तीन प्रदक्षिणा करके साष्टांग नमस्कार कीजिये.


बायां हाथ से फूल, अक्षता लेकर उसमे एक चम्मच पानी डालकर माता लक्ष्मीजी को समर्पण कीजिये.


अब तीन बार "विष्णवे नमः" बोलिये.


श्री माता लक्ष्मीजी का सामने अंजलीबद्ध होकर (हाथ जोडकर) प्रार्थना करें. श्री माता लक्ष्मीजी का चरण से एक फूल लेकर प्रसाद ग्रहण करें.


अगर श्री माता लक्ष्मीजी का मूर्ती या कलश का नित्यपूजन नहीं करते है तो उसके ऊपर अक्षता डालकर विसर्जन करें. अन्यथा विसर्जन नहीं करें.


फिर से आचमन करें. ( तीन बार चम्मच से पानी बायां हाथ मे लेकर पीयें )
एक चम्मच भर पानी लेकर बायां हाथ से थाली मे छोडियें.


श्री महालक्ष्मीजी का पूजा संपन्न हुवा है.


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